सोमवार, 14 नवंबर 2011

वो छोरा / Woh Chhora

एक हाथ म्हें तख्ती लेऱ्या वो छोरा!
कलम, दवात अर बरती लेऱ्या वो छोरा!!

पाट्या झोल़ा टांग रह्या वो खोवै पै,
फटी-पुराणी काप्पी लेऱ्या वो छोरा!

पोह का महिन्ना, पाट्टे बूट, दिखें एड्डी,
पाट्टी जर्सी, सिसकी लेऱ्या वो छोरा!

दूर सड़क पै चा' की रेहड़ी दिक्खै सै,
मन-मन के म्हें चुस्की लेऱ्या वो छोरा!

कद पढ़नै का चा था, दलिये का मोह था,
बस्ते भित्तर थाळी लेऱ्या वो छोरा!!

(बाल-दिवस पर विशेष)

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