बुधवार, 2 नवंबर 2011

म्हारै हरियाणा म्हें / Mharai Haryanai Mhain

होळी अर फाग गावैं, कूवै पै तै पाणी ल्यावैं,
इसी सोणी नार देखो म्हारै हरियाणा म्हें!
दामण-कुडती देखो, बोरला-चुंदड़ी देखो,
कंठी अर हार देखो म्हारै हरियाणा म्हें!
एक रहवैं भाई-भाई, मिलकै करैं कमाई,
प्रेम अर प्यार देखो, म्हारै हरियाणा म्हें!
तन के गठीले देखो, मन के रंगीले देखो,
आ कै एक बार देखो म्हारै हरियाणा म्हें!!
(हरियाणवी कविता-संग्रह "मोर के चंदे" से उद्धृत)