बुधवार, 11 अप्रैल 2012 0 टिप्पणियाँ

सब माया है/Sab Maya Hai

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या तो मैं पागल हूँ या शख्स यहाँ भरमाया है!
दुनिया कहती प्यार हुआ है, मैं कहता सब माया है!!

सुबह की जो लालिमा है बस सूरज के नाम न कर,
जुगनू बन कर मैंने खुद को सारी रात जलाया है!

यूँ ही नहीं कोई आया है साकी तेरी चौखट पे,
होशमंद दुनिया में जाकर सबने धोखा खाया है!

एक परिंदा मेरे दिल का भरता था परवाज़ कई,
देख हवा में फैले विष को अपना पर कटवाया है!

आज़ फैसला होगा मेरे हुनर-ए-संग-तराशी का,
'नमन' मेरी महफ़िल के भीतर वो पत्थर-दिल आया है!!
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-प्रवेश गौरी 'नमन'
 
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