सोमवार, 3 अक्तूबर 2011

भित्तर-भात्तर / Bhittar-Bhattar

हरियाणै कै भित्तर भात्तर होया हरि का आणा ऊणा।
दूध दाध ल्हास्सी ल्हुस्सी अर घी घा का सै खाणा खूणा।।

सुथरे साथरे, भोळे भाळे लोग लाग सैं सुद्धे साद्धे,
धोत्ती धात्ती, कुड़ता काड़ता, खिण्डका खुण्डका बाणा बूणा।

गौरी गारी, नार नूर दाम्मण दुम्मण पहरैं पाहरैं सैं,
चुंदड़ चांदड़ ओढ आढ कै पाणी पूणी ल्याणा ल्यूणा।

छोरी छारी, छोरे छारे काम कूम म्हैं तकड़े ताकड़े,
खेत खात अर ध्याड़ी ध्यूड़ी, बोझ बाझ का ठाणा ठूणा।

हरियाणै कै गाम गूम म्हैं नाम नूम ऐण्डी आण्डी सैं,
झग्गड़ झाग्गड़, पिल्लड़ पाल्लड़, काळा कूळा, काणा कूणा।

रोज राज की सैर सार सैं, मौज माज सैं घर घार भिŸार,
महमान्नां का आणा ऊणा, मेळै माळै जाणा जूणा।

घर घार की गौब्बर गाब्बर तै कांध कूंध लिप्पैं लाप्पैं सैं,
मंदर मांदर तै बी सोणा साणा गाँ का ठाणा ठूणा।

कंचे कांचे, बित्ती बात्ती, बिज्जो बाज्जो खेल खूल सैं,
बाळक बूळक खुश खाश र्हैं सैं, रोज राज का गाणा गूणा।

भाई भूई, ताऊ तूऊ, काका कूका  एक रह्वैं सैं,
बाब्बु बुब्बु,  दाद्दा दुद्दा  मिल कै करते वाणा वूणा।

दुष्मन दाष्मन कोए ना सै, आप्पस म्हैं सब एक आक सैं,
तण ताण राख्या रगां रागां म्हैं प्रेम प्रूम का ताणा तूणा।

घणा घुणा खुद खाद आ ऊ कै देख दाख ल्यो हरियाणै म्हैं,
इतणा उतणा बता दिया घणा घुणा ‘नमन’ ना स्याणा स्यूणा।।