जो तू कह व बात कहूँगा!
तू कह दिन नै रात कहूँगा!!
A B C नै क ख कह द्यूं,
दो अर दो नै सात कहूँगा!
बीर तेरा सिक्खे कर्राटे,
चढ़गी मेरी स्यात कहूँगा!
गऊ धंसी गार्या म्हैं मेरी,
साम्मण की बरसात कहूँगा!
‘नमन’तन्नै कोळी म्हैं भरके,
दिल के सब ज़ज्बात कहूँगा!
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या तो मैं पागल हूँ या शख्स यहाँ भरमाया है!
दुनिया कहती प्यार हुआ है, मैं कहता सब माया है!!
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या तो मैं पागल हूँ या शख्स यहाँ भरमाया है!
दुनिया कहती प्यार हुआ है, मैं कहता सब माया है!!
सुबह की जो लालिमा है बस सूरज के नाम न कर,
जुगनू बन कर मैंने खुद को सारी रात जलाया है!
यूँ ही नहीं कोई आया है साकी तेरी चौखट पे,
होशमंद दुनिया में जाकर सबने धोखा खाया है!
एक परिंदा मेरे दिल का भरता था परवाज़ कई,
देख हवा में फैले विष को अपना पर कटवाया है!
आज़ फैसला होगा मेरे हुनर-ए-संग-तराशी का,
'नमन' मेरी महफ़िल के भीतर वो पत्थर-दिल आया है!!
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-प्रवेश गौरी 'नमन'
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जमीदार की छोरी तन्नै प्रीत निभाई आण्डी।
तेरै प्यार म्हैं तूड़ी ढोऊँ लड़ै नगोड्डी काण्डी।।
ना कोए चारा,
लक्कड़ हारा,
बण्या बिच्यारा।
काण्डे गात छोलगे मेरा काट्टूँ किक्कर जाण्डी।
प्रीत नगोड्डी,
दुनिया छोड्डी,
टिकगी ठोड्डी।
तेरै बाप अर भाई नै मेरी जम कै देही चाण्डी।
झुट्ठी महबत,
फुट्टी किस्मत,
चढगी स्यामत।
तेरै बाप नै तेरी सगाई दूर गाम म्हैं माण्डी।
हो ना सूणा,
मारूँ कूणा,
कर द्यूँ टूणा।
‘नमन’ तेरी डोल़ी कै राह म्हैं टांगूँ काल़ी हाण्डी।।
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